Sunday, November 21, 2010

गाँव के दुःख दर्द में साझी बूढ़े बुर्ज




गाँव के खेतों में बुर्ज बूढ़े होने लग गए हैं. खेतों में अब बुर्ज की जगह पक्के कोठे बनने लग गए हैं. प्राचीन सभ्यता से पाश्चात्य सभ्यता की ओर धीरे धीरे गाँव के कदम बढ़ने लगे हैं. 

5 comments:

  1. सही लिखा है मित्र...पुरानी चीजें एक एक कर बदलती जा रही है..आपका ब्लॉग अच्छा लगा..

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  2. बेहतरीन, भावनाओं में यदि जड़ों की मौजूदगी हो, तो यह गर्व की बात है, मानवता के लिए, हम चाहते हैं, कि आप अपने गांव की प्राकृतिक, भौगोलिक व एतिहासिक बातों का दस्तावेज तैयार करे।
    शुभकामनायें
    संपादक
    दुधवा लाइव
    http://dudhwalive.com

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  3. बदलाव ही जिंदगी है।

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  4. blog footro hai..dharohar ro dhyaan jaruri hai. ai hai to apaan haan..sanskriti re roop men..

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