Sunday, November 21, 2010
गाँव के दुःख दर्द में साझी बूढ़े बुर्ज
गाँव के खेतों में बुर्ज बूढ़े होने लग गए हैं. खेतों में अब बुर्ज की जगह पक्के कोठे बनने लग गए हैं. प्राचीन सभ्यता से पाश्चात्य सभ्यता की ओर धीरे धीरे गाँव के कदम बढ़ने लगे हैं.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
सही लिखा है मित्र...पुरानी चीजें एक एक कर बदलती जा रही है..आपका ब्लॉग अच्छा लगा..
ReplyDeleteबदलना ही जिंदगी है।
ReplyDeleteशनिवार को गोवा में ब्लॉगर मिलन और रविवार को रोहतक में इंटरनेशनल ब्लॉगर सम्मेलन
बेहतरीन, भावनाओं में यदि जड़ों की मौजूदगी हो, तो यह गर्व की बात है, मानवता के लिए, हम चाहते हैं, कि आप अपने गांव की प्राकृतिक, भौगोलिक व एतिहासिक बातों का दस्तावेज तैयार करे।
ReplyDeleteशुभकामनायें
संपादक
दुधवा लाइव
http://dudhwalive.com
बदलाव ही जिंदगी है।
ReplyDeleteblog footro hai..dharohar ro dhyaan jaruri hai. ai hai to apaan haan..sanskriti re roop men..
ReplyDelete