Sunday, November 21, 2010
चौपाल
हमारे गाँव की चौपाल कुछ अलग ही तरीके से मंडती है.यहाँ हर घर के आगे चुन्तरी कोई न कोई बुजुर्ग बैठा हुआ हथाई करते हुए मिल जायेगा. कई बुजुर्ग कहानियाँ किस्से सुनाकर भलाई का सन्देश प्रसारित करते हैं तो कई हुक्का भरकर बैठक जमाते हैं. नीम के नीचे चौपड़, ताश, चर-भर, शतरंज आदि खेलते हुए मिल जायेंगे. गाँव में हर कोई भलाई का कम करता मिल जायेगा. यहाँ हर रोज शाम के समय खाना खाने के बाद बैठक और कहानी किस्सों का दौर शुरू होता है तो रात रात भर चलता रहता है. सुबह से लेकर शाम तक खेती बाड़ी और बैठकों के बीच गाँव की चौपाल चलती रहती है.
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